किसी शायर ने क्या खूब कहा है, जिस चीज को आप पूरी शिद्दत से चाहते हैं उसको मिलाने में पूरी कायनात भी आपका साथ देती है. इस शिद्दत का नजीर बने हैं चित्रकूट के बबलू गुप्ता, जिनके सिर से पिता का साया 10 वर्ष की उम्र में ही उठ गया था. तब से वह बस में कंडक्टर की नौकरी और मां टिफिन लगाने का काम करती थीं. लेकिन आज मां बेटे की लगन ने उनको दो बस का मालिक बना दिया है.

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